4 साल की उम्र से रेप, 10वीं तक आते-आते 3 बार हुई प्रेग्नेंट, दुष्कर्मी मामा से 36 साल बाद लिया बदला


नई दिल्ली: चार साल की उम्र से ही मामा के हाथों लगातार बलात्कार (Rape) की शिकार हुई और बाद में कई बार गर्भपात (Abortion) से गुजर चुकी 40 साल से अधिक उम्र की एक महिला आखिरकार उसे अदालत के कठघरे में खड़ा करने में कामयाब हो गई है. महिला ने आरोप लगाया कि पहली बार 1981 में उसका यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) किया गया था जब वह महज चार साल की थी. कक्षा दसवीं तक पहुंचने तक उसे तीन बार गर्भपात से गुजरना पड़ा.


अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश उमेद सिंह ग्रेवाल ने यह कहते हुए आरोपी के खिलाफ आरोप तय किया कि प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता के तहत बलात्कार और आपराधिक धौंसपट्टी के कथित अपराधों का मामला बनता है. महिला अपने साथ तीन दशक पहले की गई ज़्यादतियों के लिए आरोपी मामा को सजा दिलाने के अदालत पहुंच गई है. अदालत ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि आरोपी पर कई तरह के मामले बनते हैं.


 


महिला ने 2016 में आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी. उसने अदालत से कहा कि इस व्यक्ति ने पहली बार 1981 में उसके साथ बलात्कार किया और कक्षा दसवीं तक उसके साथ ऐसा होता रहा जब उसका आखिरी बार गर्भपात किया गया. उसने यह भी कहा कि अगस्त 2014 में उसका तलाक हो जाने के बाद से वह (आरोपी) उसे सेक्स के लिए परेशान कर रहा है.


महिला ने कहा कि उसने इस व्यक्ति (जो उसका मामा है) की हरकतों के बारे में अपनी मां और परिवार के अन्य सदस्यों को बताया लेकिन कोई उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया, उल्टे सभी ने उसे ही शिकायत करने को लेकर डांट दिया और उससे कहा कि वह यह बात किसी और को न बताए.


 


उसने कहा कि बाद में उसकी सौतेली बहन की शादी उस व्यक्ति के साथ हुई जिसके बाद दोनों उसके ही घर में रहने लगे और वह उसे अब बराबर परेशान करने लगा. पीड़िता ने अपनी शिकायत में कहा कि 2016 में उसे अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होने दिया गया और उससे कहा गया कि उसके (मां के) आखिरी दर्शन करने के लिए आरोपी की मांग मान ले.


महिला की यह भी शिकायत है कि आरोपी के बेटों और अन्य रिश्तेदारों ने उसे जान से मार डालने की धमकी दी. आरोपी के वकील ने अदालत में कहा कि वह आरोपी के खिलाफ लगाये गये आरोपों पर राजी हो रहे हैं लेकिन इस मामले में अन्य लोगों के खिलाफ कोई आरोप नहीं बनता है क्योंकि आरोप सामान्य और अस्पष्ट हैं.