सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद सृजित करने को मंजूरी दे दी है। सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का दायित्व निर्धारण करने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व वाली समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दी। केंद्र सरकार आज देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) और उनके कार्यों के चार्टर की घोषणा कर सकती है।
क्यों पड़ी सीडीएस की जरूरत
कारगिल युद्ध के दौरान वायुसेना और भारतीय सेना के बीच में तालमेल का अभाव साफ दिखाई दिया। वायुसेना के इस्तेमाल पर तत्कालीन वायुसेनाध्यक्ष और सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक की राय जुदा थी। भारतीय सामरिक रणनीतिकारों ने भी इस कमी को महसूस किया और सरकार से पुनः सीडीएस के गठन की सिफारिश की। यह पद सरकारी नेतृत्व के लिए सैन्य सलाहकार की भूमिका के तौर पर जरूरी है। हालांकि राजनीतिक पार्टियों और सैन्य बलों ने इसका विरोध किया है। कुछ लोगों को लगता है कि एक व्यक्ति के पास ज्यादा सैन्य शक्तियां होना संकेंद्रण समस्या को जन्म दे सकती है। 2015 में तत्कालीन रक्षा मंत्री ने इसके गठन की बात की थी।
साल 2012 में गठित नरेश चंद्र समिति ने बीच का रास्ता निकालते हुए चीफ ऑफ स्टाफ समिति (सीओएससी) के स्थायी अध्यक्ष की सिफारिश की थी। वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत सीओएससी के अध्यक्ष की नियुक्ति की जाती है मगर इसके परिणाम आशा के अनुसार नहीं रहे हैं। सेना में सुधार के लिए गठित डीबी शेतकर समिति ने दिसंबर 2016 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। जिसमें 99 सिफारिशों सहित सीडीएस की नियुक्ति के मुद्दे को उठाया गया था।
अभी क्या है व्यवस्था
भारत सरकार ने तीनों सेनाओं में सबसे वरिष्ठ जनरल को चीफ आफ आर्मी स्टाफ की मंजूरी दी है। तालमेल के बाबत ट्राई सर्विसेज कमान की व्यवस्था है। तीनों सेनाओं की संयुक्त कमांडर कांफ्रेंस होती है और सुरक्षा मामलों की कैबिनेट में तीनों सेनाओं के प्रमुख होते हैं। इसके अलावा तालमेल, संयुक्त आपरेशन को बढ़ावा देने के लिए अनेक उपाय किए गए है।
19 साल तक सीडीएस के गठन पर सरकार ने किया संकोच
तीनों सेनाओं ने लगातार सीडीएस के गठन की मांग की है। रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति ने भी कारगिल सीक्षा समिति की सिफारिश को मजबूती से उठाया, लेकिन केन्द्र सरकार सीडीएस के गठन से परहेज करती रही। करीब 19 साल तक यह सिफारिश ठंडे बस्ते में पड़ी रही।
क्या होता है चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ
वह रक्षा खरीद में तेजी लाएगा और विभिन्न सेवाओं के बीच संसाधनों की बर्बादी को रोकेगा। भारत एक परमाणु संपन्न देश है ऐसे में सीडीएस भारत के प्रधानमंत्री को सैन्य सलाह भी देने का कार्य करेगा। रक्षा सलाहकरा के अलावा सीडीएस रक्षा अधिग्रहण एवं सैन्य बलों से संबंधित विभिन्न मुद्दों को संबोधित करेगा। वह तीनों सेनाओं और उनके प्रमुखों के बीच समन्वय स्थापित करने में अहम भूमिका निभाएगा। रक्षा क्षेत्र के लिए बजट आवंटन एवं विभिन्न योजनाओं में भी सीडीएस महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
ब्रिटेन में क्या है व्यवस्था
इसलिए जरूरी है सीडीएस
साइबर और अंतरिक्ष युद्ध जैसे नए युद्ध क्षेत्रों का विकास हुआ है। अमेरिका और चीन पहले ही अंतरिक्ष सैन्य कमांड बना चुके हैं। कुछ समय पहले भारत ने भी सैन्य कमंड बनाने का एलान किया था। इसके बावजूद सेना अब भी ब्रिटिश जामने के ढांचे से बाहर नहीं निकली है जबकि ब्रिटेन ने खुद को समय के अनुरूप ढाल लिया है। ऐसी परिस्थिति में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति न केवल समय की मांग है बल्कि भारत के सामने उपजे खतरों से निपटने के लिए भी जरूरी है।