कश्मीर में मोबाइल एसएमएस सेवा क्या सच में शुरू हुई?


"सरकार ने कल घोषणा की थी लेकिन आधी रात से मुझे अपने जियो नंबर पर कोई भी एसएमएस नहीं मिला है. मैंने सोचा था कि मुझे एसएमएस के ज़रिए नए साल की मुबारकबाद मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आज मैं स्थानीय बैंक में गया और उन्होंने मुझे बताया कि सिर्फ़ बीएसएनएल से बीएसएनएल सेवा को शुरू किया गया है. मैं बहुत निराश हूं, सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है."


यह कहना है श्रीनगर के सीडी अस्पताल में आए ज़फ़र अहमद नामक एक व्यक्ति का.


जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कल घोषणा की थी कि 1 जनवरी 2020 से कश्मीर में सभी एसएमएस सेवाएं बहाल कर दी जाएंगी.


ज़फ़र अहमद कहते हैं, "सरकार की ओर से झूठ बोला गया. अगर एसएमएस सेवा बहाल हो जाती तो मुझे कुछ राहत मिलती. एसएमएस सेवा के भी न होने से हम मानसिक रोगी हो चुके हैं. मुझे आशा थी कि एसएमएस सेवा शुरू हो जाएगी लेकिन ज़मीन पर कुछ नहीं हुआ."


इंटरनेट सेवा भी पूरी तरह नहीं हुई शुरू?


सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने कहा था कि मोबाइल एसएमएस सेवा के साथ-साथ सरकारी अस्पतालों में इंटरनेट सेवा को भी बहाल किया जाएगा.


ये सेवाएं 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से बंद हैं. कुछ समय बाद सरकार ने सबसे पहले लैंडलाइन फ़ोन सेवा शुरू की थी और बाद में पोस्टपेड मोबाइल सेवा भी शुरू कर दी थी.


सीडी अस्पताल के चेस्ट विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर नवीद कहते हैं कि इंटरनेट के बंद होने से बहुत सी अकादमिक और प्रशासनिक दिक्कतें पैदा हुई हैं.


उन्होंने बीबीसी से कहा, "इसमें कोई शक नहीं है कि 5 अगस्त के बाद से हमने किसी तरह अस्पताल का सामान्य काम चालू रखा है. लेकिन इंटरनेट बहुत अहम भूमिका अदा करता है. इंटरनेट के न होने से हमारे अकादमिक और प्रशासनिक मामलों पर असर पड़ा है. इंटरनेट के ज़रिए हम ऑनलाइन दवाएं ख़रीदते हैं."